Author: indiangagets

  • व्रत का खाना नवरात्रि फलाहारी रेसिपी


    Navratri falahari recipes in Hindi को बनाना बहुत ही आसान होता है जिसे कोई भी बड़े चुटकियों में बना सकता है. अगर आपने पहले कभी Navratri falahari recipes in Hindi नही बनाई है तो भी आपको घबराने की जरुरत बिलकुल नही है. Navratri falahari recipes in Hindi को आप बड़े आसानी से और कम समय में बना सकते है.

    हम आपको लौकी की फलाहारी Vrat ka khana रेसिपी सीखाने जा रहे हैं जिसकी विधि नीचे बताई जा रही है.
    तो चलिए सीखते है बनाना Vrat ka khana जिसका नाम है Navratri falahari recipes in Hindi.

    Ingredients
    लौकी 500 ग्राम
    आलू 2 जीरा एक चम्मच
    टमाटर 2
    देसी घी 2 चम्मच
    हरी मिर्च 4 या स्वादानुसार
    सेंधा नमक स्वादानुसार
    धनिया पत्ती गार्निश के लिए

    Method
    Step 1
    फलाहारी लौकी बनाने के लिए सबसे पहले लौकी को छीलकर उसके बाद अच्छी तरीके से धोकर मोटे टुकड़ो में काट लेंगे. फिर उसके बाद आलू को भी छिलकर, धोकर मोटे टुकड़ों में काट लेंगे. अब एक कढ़ाई को गैस पर गर्म होने के लिए रख देंगे. फिर इसमें 2 चम्मच देसी घी डाल देंगे. फिर उसके बाद जीरा और हरी मिर्च का तड़का देंगे.

    Step 2
    फिर उसके बाद छोटे टुकड़ों में कटा हुआ लौकी और आलू एक साथ कढ़ाई में डाल कर 2 मिनट तक भूनने के लिए छोड़ देंगे. 2 मिनट के बाद सब्जी को चलाकर, इसमें सेंधा नमक, टमाटर को काटकर डाल देंगे और अब चला कर ढककर पकने के लिए छोड़ देंगे. थोड़ी थोड़ी देर पर आकर वापस से चलाते रहेंगे, ताकि लौकी और आलू बराबर मात्रा में आसानी से पक सकें.लौकी और आलू को पकने में थोड़ा समय लगेगा.

    Step 3
    जिसके लिए हमें बीच-बीच में आकर चलाते रहना होगा. यह प्रक्रिया हमें धीमी आंच पर करनी होगी. लौकी और आलू को पकने में 15 मिनट से 20 मिनट लग सकते हैं. जब फलाहारी लौकी पूरी तरह से पक जाए और बनकर तैयार हो जाए तब गैस को बंद कर देंगे और इसे धनिया पत्ती के साथ सजाकर गरमा गरम सर्व कर सकते हैं. इस फलाहारी लौकी को दही के साथ खाने में बहुत ही tasty लगता है.

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  • स्वादिष्ट लिट्टी चोखा बनाने की विधि

    आइए शुरू करते हैं।
    शुद्ध गेंहू का आटा ले लीजिये किसी बड़े बर्तन में। उसमे थोड़ा नमक, थोड़ा घी मिलाइए। इस आटे को कड़ा गूथ लीजिये। जैसे पूड़ी बनाने के लिये गूथते हैं, वैसे ही। लेकिन अगर आप सत्तू का पराठा बनाना चाहते हैं तो आटा बिल्कुल नर्म गूथें। (इसी विधि से आप सत्तू के पराठे भी बना सकते हैं) आटा गूथने के बाद उसे गीले कपड़े से ढक कर छोड़ दीजिये।
    सत्तू के मसाले बनाने की तैयारी शुरू कर दीजिये। एक बर्तन में निम्न सामग्री लीजिये।
    चने का सत्तू
    कसूरी मेथी
    नमक
    अजवाइन
    काला जीरा या कलौंजी
    प्याज बारीक कटे हुए
    अदरक बारीक कटे हुए
    लहसुन भी बारीक कटे हुए
    हरी मिर्च बारीक कटे हुए
    गर्म मसाला
    हींग
    जीरा पावडर
    काली मिर्च थोड़ी दरदरी पिसी हुई
    अमचूर पाउडर
    पुराने अचार के तेल और मसाले (वैकल्पिक)
    शुद्ध सरसो तेल
    इन सब को सत्तू में डाल कर अच्छे से मिला लें। सत्तू का मसाला थोड़ा चख कर देख लें। स्वाद चटकदार होनी चाहिए। नमक स्वादानुसार ही डालें लेकिन चटकीला स्वाद लाने के लिये उसमें नींबू निचोड़ें और काला नमक थोड़ा डालें। ध्यान रखें कि सत्तू का मसाला बहुत भुरभुरा न हो। चाहें तो उसमे हल्के पानी के छीटे डाल कर उन्हें गुथने जैसा कड़े हाथों से मिलाएं। प्याज, अदरक, लहसुन और आचार या सरसो के तेल से उसमे बंधने जैसे गुण आ जाएंगे। अब आपका मसाला तैयार हो गया।
    इसके पहले कि हम लिट्टी बनाएं, चोखे की तैयारी कर लेते हैं।
    ताजे उबले आलू
    (वैसे तो हम आग पर सिकें हुए आलू पसन्द करते हैं मगर अब इतनी झंझट कौन करे कि आग पर सेंके)

    बैंगन (इनको तो आग में पकाना ही होगा)
    टमाटर (इनको भी)
    सरकंडे वाली आग तो मिलने से रही। तो आप गैस के बर्नर पर ही जाली रख कर उस पर मध्यम आंच पर बैगन और टमाटर को उलट पलट कर अच्छे से सेंके। इस तरह कि उनके बाहरी परत जल जाय और बैगन अंदर तक पाक जाय। टमाटर तो छोटे होते ही है, जल्दी पक जाते हैं। मगर बैगन का चुनाव मध्यम से छोटे आकार वाले ही करें जो अधिक मोटे न हों। वैकल्पिक तौर पर आप इन्हें ओवन में भी सेंक सकते हैं।
    इन्हें ठंडे जल में डाल दें। हल्के हांथो से छिलके उतार लें। एक दूसरे बर्तन में उबले आलू, आग पर सिंके हुए बैगन, और टमाटर को अच्छी तरह मेस कर लें। अब इनको छौंक लगाने की जरूरत है।
    प्याज छोटे आकार में काट लें। लहसुन, हरी मिर्च, अदरक बारीक काट लें। अगर धनिया पत्ती हो और प्याज की भाजी हो तो सोने पे सुहागा। इन्हें भी बारीक काट लें।
    एक कढ़ाई में थोड़े घी डालें। गर्म होने के पहले हीं उसमें थोड़ा जीरा और सरसो के दाने डालें। चटकने की आवाज आते हीं उसमे कटे हुए प्याज, अदरक, लहसुन और हरी मिर्च डालें। थोड़ा पकने के बाद थोड़ा हल्दी पाउडर, नमक, थोड़ा काली मिर्च और जीरा पाउडर और हींग डालें। मसाले डालने के तुरंत बाद एक बार चलाने बाद उसमे उबले आलू, बैगन और टमाटर का मिश्रण डाल दें। याद रखें कि आलू ताजे उबले हों वरना वे चोखे में ठीक से मिक्स नहीं होंगे। फ्रिज में रखे उबले आलू से सिर्फ रसदार सब्जी बनाई जा सकती है। मगर चोखे के लिये तो ताजी उबली हुई हीं चाहिए।
    अच्छे से मिलाने के बाद उसे किसी बर्तन में निकाल लें। उस पर धनिया की पत्तियों और प्याज की बारीक कटी भाजी डाल दें।
    कई लोग इसे बिना छौंक लगाए भी खाते हैं। सभी सामग्री को बस बर्तन में मिला लेते हैं और इसमें सरसों का कच्चा तेल डालते हैं। इससे इसके स्वाद में बढ़ोतरी हो जाती है।
    लिट्टी बनाने की दो विधि है। आप इसे आग पर सेंक कर पका सकते हैं या फिर घी में तल कर। आग में सेंकने का दूसरा विकल्प है ओवन में सेकना। रोटी जितनी बड़ी लोई ले कर उसे गोलाई में हाथों के बीच रख कर घुमाते हुये एक गोल आकार दें। अब इसमें बीच से गहरा करते हुए उसके किनारे निकालते हुए गहराई बनाएं। उचित गहराई बनने के बाद उसे हथेलियों के बीच रख कर उसमे सत्तू का मिश्रण भरें। कितना भरना है, ये आपके रुचि पर निर्भर है। लेकिन बहुत अधिक भर हुआ अच्छा नहीं होगा। लेकिन बहुत कम भरा हुआ भी अच्छा नहीं होगा। इसलिये जितनी बड़ी लोई, उससे कम भरावन डाले। अब उसे हल्के हाथों से दबाते हुए, गोलाई में किनारों को बंद करें और अंततः गोल पिट्ठी जैसे आकार ले कर उन्हें कचौड़ी के आकार में हाथों के बीच मे रख कर हल्का चपटा करें। ये आकार तलने के लिये सही है। अगर आप आग में सेंकने के तैयारी में हैं या ओवन में तो आप इसे गोल ही रहने दें।
    तल कर बनाने के लिये हल्के गर्म तेल या घी में इसे डाले। मध्यम आंच पर पकने दें। उलट पलट कर दोनों तरफ गुलाबी रंग के होने तक सेंके। उसके बाद निकाल लें। गर्म गर्म परोसें।
    आग पर सेंकने के लिये मध्यम आंच वाले लकड़ी के कोयले के बार बी कयू में सेंके। या ओवन में सेंकने के लिये उसे ओवन के ट्रे में फैला कर मध्यम आंच पर सेंके। बारी बारी से उलट पलट का सेंके।
    सिंकने के बाद उसे घी से भरे बर्तन में डुबोएं। और गर्म गर्म परोसे। कुछ इस तरह। कुछ लोग उसे बीच से तोड़ कर उस पर गर्म घी डालते हैं और फिर उसे चोखे के साथ खाते हैं। चोखे जो ऊपर बनाये थे।
    कुछ इस तरह, ये आग पर सेंके गए।
    औऱ ये तले गये।
    ये ओवन में सेंके गए।
    [1] चित्रों के अधिकार उनके मालिकों के पास सुरक्षित है जो गूगल से लिए गए हैं। चित्र केवल प्रतीकात्मक है।
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  • अरारोट कैसे बनता है? अरारोट खाने के क्या नुकसान और फ़ायदे है?

    अरारोट या एरोरूट तकनीकी रूप से अपने आप में एक पौधा नहीं है, बल्कि एक प्रकार का स्टार्च है जो आसानी से कई अलग-अलग पौधों और राइज़ोम की जड़ों से प्राप्त किया जा सकता है।
    अरारोट का वैज्ञानिक नाम मैरेंटा अरुंडिनेशी (Maranta arundinacea) है और यह एक बहुवर्षी पौधा होता है। इसमें मौजूद स्टार्च के कारण, यह 7,000 से अधिक वर्षों से उपयोग किया जा रहा है।
    विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं के इलाज के लिए अरारोट एक महत्वपूर्ण और प्रभावी उपाय है। आटा या मकई की जगह इसका उपयोग किया जाता है। मूल रूप से इसका पाउडर रोटी, पास्ता और केक के लिए एक स्वस्थ विकल्प हो सकता है।
    अरारोट असल में एक जड़ का पाउडर होता है। इसका पौधा अंग्रेजी भाषा में एरोरूट Arrow root कहलाता है।
    आयुर्वेद में यह पौधा शिशुमूल के नाम से जाना जाता है।
    आयुर्वेद के अनुसार अरारोट सुपाच्य , सौम्य तथा कब्ज नाशक होता है। यह आँतों तथा मूत्राशय सम्बन्धी रोग से आई कमजोरी दूर करता है। बीमार या बच्चों के लिए फायदेमंद होता है।
    अरारोट को अरारूट , विलायती तीखुर के नाम से भी जाना जाता है। इसे गुजराती में तवखार Tavkhar , मराठी में आरा रूट, बंगला में तवक्षीर Tavkshir कहते हैं।
    अरारोट कैसे बनता है –
    अरारोट के पौधे की जड़ में शकरकंद जैसी आकृति की जड़े बनती हैं। इन्हें खोदकर निकाला जाता है , फिर इसे धोकर उबाल लेते हैं। छिलका निकाल देते हैं और टुकड़े करके पीसा जाता है।
    इसे धोने से स्टार्च ( मांड ) निकलता है , रेशेदार भाग को हटा दिया जाता है। स्टार्च या मांड को शुद्ध करके सुखा लिया जाता है। सूखने के बाद उसे बारीक़ पीस कर उसका पाउडर बना लिया जाता है। यही पाउडर अरारोट है जिसे हम रसोई मे काम लेते हैं।
    आजकल इसकी जगह कॉर्न फ्लौर का उपयोग सस्ते विकल्प के रूप में होता है। लेकिन अरारूट में अधिक पोषक तत्व होते हैं। इसके अलावा जिन लोगों को कॉर्न से या गेहूं से एलर्जी होती है वे अरारूट काम में ले सकते हैं। क्योंकि इसमें ग्लूटेन नहीं होता है।
    अरारोट में स्वाद नहीं होता है। अतः इसे किसी भी व्यंजन में मिलाया जा सकता है। अरारोट लगाकर आलू की फिंगर चिप्स या टिकिया तलने से कुरकुरी बनती है। ग्रेवी को गाढ़ा करने के लिए भी इसका उपयोग होता है।
    अरारोट के पोषक तत्व –
    अरारोट में बहुत से पोषक तत्व होते हैं। इसमें प्रोटीन , कार्बोहाईड्रेट , विटामिन बी 9 , कैल्शियम , पोटेशियम , मैग्नीशियम , सोडियम और फास्फोरस प्रचुर मात्रा में होता है। इसके अलावा कुछ मात्रा जिंक , आयरन , विटामिन बी B1 और बी 6 भी होता है।
    अरारोट एक शुद्ध प्राकृतिक कार्बोहाईड्रेट है।
    अरारोट के फायदे
     पाचन तंत्र
    अरारोट में भरपूर फाइबर होता है। फाइबर पाचन तंत्र के लिए जरुरी होता है। यह आतों की सफाई करता है और पोषक तत्वों के अवशोषण में मदद करता है। यह कब्ज दूर करता है। ब्लड में शक्कर का लेवल नियंत्रित करने में सहायक होता है तथा डायबिटीज को रोकने में सहायक होता है। फाइबर कोलेस्ट्रोल कम करने में भी मददगार होता है। अतः पाचन तंत्र के लिए अरारोट लाभदायक है।
    ह्रदय
    अरारोट में पाया जाने वाला पोटेशियम ह्रदय के लिए लाभदायक होता है। पोटेशियम से रक्त शिराएँ लचीली बनती हैं तथा यह नसों में कोलेस्ट्रोल जमने से रोकता है। इसके अलावा यह दिमाग में ऑक्सीजन युक्त रक्त के संचार में वृद्धि करता है।
    गेहूं से एलर्जी और सेलिअक डिजीज
    गेहूं से एलर्जी और सेलिअक डिजीज से ग्रस्त लोगों की संख्या बढ़ती जा रही है। इसके लिए ग्लूटेन फ्री डाईट की जरुरत होती है और अरारूट इसमें उपयुक्त साबित होता है। यह पेट की तकलीफ ग्लूटेन के कारण होने वाली दिक्कत व दर्द आदि में आराम दिला सकता है।
    अरारोट (Ararot) कैसे प्राप्त होता है-
    पौधे की जड़ को निकालकर उसे अच्छे से साफ करके उसका छिलका निकाल दिया जाता है. फिर इसे अच्छे से पीसकर लुगदी बना ली जाती है. इस लुगदी को अच्छी तरह धोया जाता है, जिससे जड़ का रेशेदार भाग अलग हो जाता है. यह फेंक दिया जाता है और बचे हुए दूधिया भाग को छान लेते हैं जिससे अरारूट स्टार्च (Ararot starch) प्राप्त होता है.
    अरारोट (Ararot) का रख रखाव-
    अरारोट को एयर टाइट कंटेनर में भरकर रखें.
    अरारोट में किसी भी प्रकार की नमी न जाने दें.
    नमी के संपर्क में आने पर यह खराब हो जाता है.
    जब भी इसे उपयोग में लाएं तो साफ सफाई का ध्यान रखें.
    जिस भी कंटेनर में इसे रखा गया हो उसे साफ सूखे हाथों से ही खोलें और इसे निकालने के लिए साफ सूखे चम्मच का ही उपयोग करें.
    अरारूट अनाज से नही बनता इसलिए व्रत में खाया जा सकता है परन्तु शुद्ध होना चाहिए।
    यह किसी भी किराना स्टोर पर आसानी से मिल जाता है। इसे ऑनलाइन भी मंगाया जा सकता है।
    अरारूट को फ्रिज में रखने की जरुरत नहीं होती है परन्तु सूखे और ठन्डे स्थान पर रखना चाहिए । सीधी धूप और नमी से बचाना चाहिए।
    पुराने समय से इसे मकड़ी या बिच्छु जैसे जहरीले कीड़ों के काटने पर भी लगाया जाता है।
    यह आसानी से पच जाता है अतः पाचन सम्बन्धी दिक्कत वाले लोग भी इसका उपयोग कर सकते हैं।
    अरारोट का उपयोग व्यावसायिक स्तर पर जेली और पेस्ट्री आदि बनाने में किया जाता है। इसके अलावा कुछ कॉस्मेटिक प्रोडक्ट जैसे टेलकम पाउडर आदि बनाने में तथा ग्लू बनाने में भी इसका उपयोग होता है।
    अरारोट खरीदते समय सावधानियां –
    अरारूट को बाजार से खरीदते समय कुछ बातों का ध्यान रखें. क्योंकि अरारोट में भी बहुत सी चीजों की मिलावट की जाती है. अरारोट के नाम पर आलू, चावल, साबूदाना या ऐसी ही अन्य वस्तुओं को महीन पीसकर नकली अरारोट भी बेचा जाता है इसलिए जब भी अरारोट खरीदें तो विश्वसनिय ब्रांड की ही लें और जहां से खरीद रहे हों वह गुणवत्ता युक्त हो. इसे बारीकी से जांचकर ही लें.
    अरारोट का रेसिपी में उपयोग-
    अरारोट को रेसिपी में मुख्य रूप से बाइंडिंग या गाढा़ करने के लिए उपयोग किया जाता है. जैसे कि अगर हम कोफ्ते बना रहे हों तो उनमें अरारोट मिला देने से वो टूटते नहीं हैं, अच्छे से बंध कर तैयार होते हैं और आसानी से तले जा सकते हैं. साथ ही इसे मिठाई बनाने के लिए भी उपयोग किया जाता है. इसे गुलाब जामुन, छैना बनाने में उपयोग करते हैं.
    अरारोट को ग्रेवी, सॉस इत्यादि को गाढ़ा करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है. इसे मन्चूरियन की ग्रेवी में बहुतायत में यूज करते हैं.
    अरारोट का विकल्प –
    अगर अरारोट न मिले तो इसकी जगह कॉर्न स्टार्च (corn starch) का उपयोग भी किया जा सकता है. यह उसके लिए एक अच्छा विकल्प होता है. साथ ही मैदा (refined flour) को भी कई चीजों में अरारोट के बदले उपयोग में लाया जा सकता है।
    अरारोट के नुकसान –
    किसी भी हर्बल उपाय के साथ, अरारोट लेते समय सावधानी बरती जानी चाहिए। जबकि हर्बल उपचारों का उपयोग करने से पहले अपने डॉक्टर से परामर्श किया जाना चाहिए। बच्चों, गर्भवती या नर्सिंग माताओं या किडनी या लिवर की बीमारी वाले किसी भी व्यक्ति को इसके सेवन से पहले विशेष ध्यान देना चाहिए। एक शिशु फार्मूले के लिए अरारोट का विचार से पहले बच्चों के बाल रोग विशेषज्ञ से परामर्श करें और एलर्जी प्रतिक्रियाओं के लिए बारीकी से निगरानी करें।
    दस्त को कम करने के लिए जड़ी-बूटियों का उपयोग करते समय, इसे दस्त के लिए किसी भी अन्य दवा या पूरक के साथ नहीं लिया जाना चाहिए।
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  • रात में हल्दी वाला दूध पीना क्या सच में फायदेमंद होता है ? कितनी हल्दी डालनी चाहिये ? विस्तृत जानकारी

    जब भी कभी चोट लगती है या बॉडी में किसी प्रकार का दर्द होता है तो हमारे घर के बुजुर्ग हल्‍दी वाला दूध पीने की सलाह देते हैं। घावों का इलाज करने, इम्‍यूनिटी बढ़ाने और थकावट को दूर करने के लिए हल्‍दी वाला दूध पीने की सलाह दी जाती है। इसके अलावा खांसी-जुकाम से लेकर अच्‍छी नींद लाने तक हल्‍दी वाला दूध आपके लिए बहुत फायदेमंद होता है। लेकिन क्‍या आप जानती हैं कि रात को सोने से पहले हल्‍दी वाला दूध आपके लिए बहुत फायदेमंद होता है।
    कुछ लोग कच्‍ची हल्‍दी को दूध में मिलाकर ले लेते हैं तो कुछ एक गिलास दूध में 1 बड़ी चम्‍मच हल्‍दी मिला लेते हैं। ऐसा करने से उन्‍हें फायदे की जगह नुकसान हो जाता है।
    हल्‍दी वाला दूध बनाने का सही तरीका
    • दूध- 1 गिलास
    • हल्‍दी- 2 चुटकी
    हल्‍दी का दूध बनाने के लिए 1 गिलास दूध में 2 चुटकी हल्‍दी मिलाकर अच्‍छे से उबाल लें। फिर इसे थोड़ा ठंडा होने दें। और रात को सोने से कम से कम 1 घंटा पहले पी लें।
    बॉडी में आते हैं ये 4 बदलाव
    दूध पीना हमारी बॉडी के लिए बहुत फायदेमंद होता है क्‍योकि इसमें कैल्शियम, आयरन, प्रोटीन और विटामिन जैसे पोषक तत्व होते है। जो बॉडी को जरूरी पोषण देते है और शारीरिक कमजोरी दूर करते है। शायद इसलिए भी दूध को संपूर्ण आहार भी कहा जाता है। और हल्दी भी एक प्राकृतिक एंटीबायोटिक है। जिसे लेने से अनेक रोग जड़ से खत्म हो जाते है। और अगर दोनों चीजों को मिला दिया जाए फिर तो सोने पर सुहागा हो जाता है।
    1. रात को हल्‍दी वाला दूध मिलाकर पीने से बॉडी से विषैले टॉक्सिन बाहर निकल जाते हैं। जिससे आपका डाइजेस्टिव सिस्‍टम सही रहता है और आप पेट की बीमारिया जैसे गैस, एसिडिटी, कब्‍ज आदि से छुटकारा मिलता है। अगर आप भी चाहती हैं कि आपको पेट रोजाना सुबह साफ हो जाए तो हल्‍दी वाला दूध पीएं।
    2. हल्दी वाले दूध पीने से त्वचा मे भी निखार आता है। जी हां, क्योंकि इसमें एंटीसेप्टिक व एंटीबैक्टीरियल जैसे गुण मौजूद होते हैं जो स्किन से संबंधित सभी रोगों जैसे इन्फेक्शन, खुजली, मुंहासे आदि को आपकी त्वचा से दूर भगाते हैं और उनके बैक्टीरिया को खत्म करते हैं, जिससे आपकी स्किन चमकदार होती है।
    3. जैसा कि हम सभी जानते ही हैं कि दूध में कैल्शियम भरपूर मात्रा में होता है जिससे हड्डीया मजबूत होती है। अगर आप हल्दी वाला दूध पीती हैं तो इससे आपकी हड्डियों को मजबूती मिलेगी और आपकी इम्‍यूनिटी भी बढ़ जाएगी। साथ ही आपके दांत भी मजबूत होगें। और हल्‍दी वाला दूध पीने वाली महिलाओं को जोड़ों के दर्द की शिकायत दूर होती है। जी हां अगर आप रोजाना सोने से पहले हल्‍दी वाला दूध पीएंगी तो आपको अर्थराइटिस जैसी समस्‍याओं का सामना भी नहीं करना पड़ेगा।
    4. जिनको रात में नींद नहीं आती उनके लिए हल्दी वाला दूध बहुत फायदेमंद है। कई बार तनाव या अन्‍य कई कारणों से हमें रात को नींद अच्छे से नहीं आती है। अगर आप को रात को नींद अच्छे से नहीं आ रही है तो बस यह घरेलू नुस्खा जरूर अपनाएं। जी हां हल्दी में अमीनो एसिड होता है। जिस कारण दूध के साथ इसके सेवन से नींद अच्छी आती है।
    जब से आपने आपने ये पोस्ट देखा “हल्दी वाला दूध” पीना चालू कीजिये
    धन्यवाद !
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  • सोयाबड़ी का किस तरह से उपयोग कर सकते हैं?

    सोयाबड़ी बहुत ही पौष्टिक और प्रोटीनयुक्त खाद्य पदार्थ है, जो खाने में स्वादिष्ट तो है, साथ ही सेहत के हिसाब से भी सभी के लिए अच्छा है।
    ये है सोया बड़ी ! मैं सोयाबड़ी से कई डिश बनाती हूँ, जिनमें से कुछ साझा कर रही हूँ।
    सोयाबड़ी की रस वाली सब्जी – सोयाबड़ी को दस मिनट तक गरम पानी में उबाल ले, ताकि यह नरम हो जाए। फिर उसे अच्छी तरह से साफ करके उसका सारा पानी हाथ से दबा कर निचोड़ लें।
    अब कड़ाही में तेल गरम करके बड़ी को भून लें ताकि उसका कच्चापन निकल जाए।
    फिर बड़ी के अंदाज से मसाला तैयार करें। टमाटर,प्याज, अदरक, लहसुन को दरदरा पीस लें। कड़ाही में गरम तेल में जीरा, एक छोटी इलायची कुटी हुई डालें। फिर पिसे हुए मसाले डालकर उसे भूने और बाद में अंदाज से नमक, हल्दी, मिर्च पाउडर डालकर मसाले को तेल छोड़ने तक भूने। अब उसमें सोया बड़ी डालकर भूने।
    मसाले के साथ सोयाबड़ी को भूनने के बाद उसमें थोड़ा पानी डालें। खौलने पर ऊपर से गरम मसाला और थोड़ा सा चाट मसाला डालें। गैस बंद करें और तैयार सोया बड़ी में हरी धनिया पत्ती डालकर परांठा, रोटी या चावल के साथ खाएँ। स्वाद के साथ सेहत भी।
    सोयाबड़ी के कटलेट – शाम के नाश्ते के लिए या बच्चों के लंच ब्रेक के लिए अच्छा नाश्ता है।
    सोया बड़ी को उबाल कर ,उसका पानी निकाल कर उसके छोटे टुकड़े कर लें या मिक्सी में डालकर एक बार घुमा ले तो भी उसके टुकड़े हो जाएंगे। उसमें उबले हुए और मैश किए हुए दो आलू, प्याज बारीक कटा हुआ, हरी मिर्च कटी हुई, अदरक लहसुन की पेस्ट, हरे प्याज की पत्ती (ऐच्छिक),गाजर कद्दूकस किया हुआ, ब्रेड का चूरा या दो ब्रेड को पानी में डालकर उसे निचोड़कर भी डाल सकते हैं। साथ ही नमक, हल्दी, मिर्च पाउडर,चाट मसाला पाउडर, एक नींबू का रस और थोड़ा सा कॉर्नफ्लॉर पाउडर मिलाकर मिक्स करके रख लेना है।
    कड़ाही में तेल गरम करके उसे कटलेट के शेप में बनाकर तलना है। गरमा गरम खाने का मजा लें हरी धनिया पत्ती की चटनी के साथ।
    सोयाबड़ी कीमा – इसे बनाना भी आसान है। सोया बड़ी को पानी में उबाल कर उसका पानी निकाल कर मिक्सी में बारीक पीस लेना है। कड़ाही में तेल गरम करके जीरा डालना है। बारीक कटी हुई दो प्याज, टमाटर, अदरक लहसुन बारीक कटी हुई, डालकर भूनना है। मसाले के साथ ही बारीक की गयी सोया बड़ी को भी भूनना है। उसमें नमक, लाल मिर्च पाउडर,गरम मसाला पाउडर, आमचूर पाउडर डालकर मिलाना है। सब कुछ पक जाने पर उसमें एक चम्मच ” शाही बिरयानी मसाला पाउडर ” और नींबू का रस डालकर बंद कर देना है। ऊपर से धनिया की पत्ती डालकर परोसना है। चटपटा सोया कीमा तैयार है। इसे रोटी या परांठे के साथ खाएं।
    यह सारी डिश मैं घर में बना चुकी हूँ। सबको पसंद आती है। आप भी बनाएँ और खाने का मजा लें।
    चित्र स्रोत -गूगल! सारे चित्रों के अधिकार इनके मालिकों के हैं।
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  • मिर्च के बारे में कुछ रोचक तथ्य क्या हैं ?

    आइये जानते हैं ऐसी मिर्चों के बारे में जो आपके कानों से धुआं उड़ा देंगी और अच्छे-अच्छों के छक्के छुड़ा देंगी।
    ●मिर्च के अंदर कैप्सेसिन नाम का एक केमिकल पाया जाता है।
    ● कैप्सेसिन ही जलन का मुख्य कारण है। जब यह जीभ के संपर्क में आता है तो यह उसी तरह की अनुभूति कराता है जैसी हमें किसी जगह पर जलने की होती है।
    ●कैप्सेसिन न तो हमारी जीभ को जलाता है न ही जीभ को नुकसान पहुँचाता है, बस जब तक जीभ पर रहता है तब तक ऐसा महसूस कराता है की जीभ जल रही है।
    ●विभिन्न प्रकार की मिर्चों में इसकी मात्रा अलग अलग होती है।
    ● मिर्च के तीखेपन या जलन करने की क्षमता को नापने के लिए स्कोविल स्केल (Scoville scale) का प्रयोग किया जाता है। इससे स्कोविल हीट यूनिट (SHU) निकलता है
    आइए जानते हैं कि किस मिर्च की तीव्रता कितनी होती है इस स्केल पर:-
    1:- शिमला मिर्च
    यह मिर्च स्कोविल स्केल पर शून्य (0 SHU) पर होती है, क्योंकि इसमें कैप्सेसिन नहीं होता। इसीलिए यह मिर्च तीखी नहीं लगती।
    2:- साधारण मिर्च
    यह मिआमतौर पर हर जगह प्रयोग की जाती है। इस मिर्च की रीडिंग स्कोविल स्केल पर 100-400 SHU के बीच होती है। कई लोगों की तो इसी मिर्च को खाने में हालत खराब हो जाती है।
    अब हम बात करेंगे ऐसी मिर्चों की जिनके तीखेपन का अंदाज़ आप उनकी रीडिंग से ही लगा सकते हैं। :-
    3:-पीच घोस्ट स्कोर्पियन(Peach Ghost Scorpion)
    तीव्रता-7,50,000 SHU
    4:-चॉकलेट हबालोकिया(Chocolate Habalokia)
    तीव्रता-8,00,000 SHU
    5:-डोरसेट नागा(Dorset Naga)
    तीव्रता-9,23,000 SHU
    6:-सेवेन पॉट हबानेरो(Seven Pot Habanero)
    तीव्रता-11,00,000 SHU
    7:- त्रिनिदाद मोरुगा स्कोर्पियन(Trinidad Moruga Scorpion)
    तीव्रता-12,00,000 SHU
    8:- नागा वाईपर(Naga viper)
    तीव्रता-13, 82,118 SHU
    9:- कैरोलिना रीपर(Carolina Reaper)
    तीव्रता-15,69,300 SHU
    ●बाकी की गणित आप लोग लगा सकते हैं की जो मिर्च हम लोग साधारण रूप से खाते हैं, और ये मिर्चें कितनी गुना ज्यादा तीखी हैं।
    ●कहाँ 100 से लेकर 400 में हालत पस्त हो जाती और कहाँ 15,69,300
    ●कई लोगों में इनको खाने के बाद जी मिचलाना, चक्कर आना, जीभ में भयानक जलन होना, उल्टियां होना जैसे लक्षण भी देखे गए हैं।
    ●कई देशों में इन मिर्चों को खाने वाले शौकीन लोग भी पड़े हैं जो इनको खा कर रिकॉर्ड बनाते हैं।
    ●कहीं-कहीं तो इन मिर्चों को खाने से पहले फॉर्म तक भरना पड़ता है की अगर इसके खाने के बाद अगर कुछ भी होता है तो खाने वाला स्वयं जिम्मेदार होगा।
    आशा है की आपको ये मिर्चें अगर मिलें तो इन्हें न ही खाएं तो ही अच्छा है, नहीं तो जलन भुझाते रह जाएंगे पर भुझेगी नहीं।
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  • कौन से आटे की रोटी सबसे ज्यादा बेहतर होती है?

    बाज़ार में तरह-तरह का आटा उपलब्ध है। मल्टीग्रेन आटे में भी आपको ढेरों वरायटी मिलेंगी। हर आटे में अलग-अलग पोषक तत्व होते हैं। ऐसे में हमारी सेहत के लिए कौन सा आटा बेहतर रहेगा?ये रोटियां हमारी सेहत के लिए कितनी फायदेमंद हैं और किस तरह के आटे की चपाती से हमें कितनी कैलरीज़ मिलेंगी?
    गेहूं
    इससे रोटियां तो हर घर में बनाई जाती हैं। आपने गौर किया होगा कि दो-तीन दिन अगर बाहर खाना खाया जाए तो अपने आप मन घर की बनी गेहूं की रोटी का करने लगता है। इससे बने आटे में फोलिक एसिड, विटमिन ई, विटमिन बी-6 और बी- कॉम्प्लेक्स जैसे विटमिन और मैग्नीशियम, मैग्नीज़, जिंक जैसे कई मिनरल्स शामिल होते हैं, जो हमारी सेहत के लिए बहुत लाभकारी हैं। हां, जिन्हें ग्लूटन से एलर्जी है, केवल ऐसे मरीज़ों को ही गेहूं की रोटी की मनाही होती है।
    बेसन
    बेसन यानी चने का आटा भी आमतौर पर सभी घरों में पाया जाता है। कई तरह से इस्तेमाल होने वाला बेसन निश्चित रूप से खाने का स्वाद बढ़ाता है। आयरन, पाटैशियम, कॉपर, जिंक, फॉस्फोरस, फोलेट, विटमिन बी-6 की प्रचुर मात्रा के साथ बेसन सेहत के लिए अच्छा माना जाता है। यह एनीमिया और कई अन्य बीमारियों से भी बचाता है। यह त्वचा के लिए भी अच्छा होता है। इससे कई तरह के उबटन भी तैयार किए जाते हैं।
    बाजरा
    बाजरे के आटे में प्रोटीन, मैग्नीशियम, आयरन, फॉस्फोरस और फाइबर जैसे पोषक तत्व पाए जाते हैं। यह विटमिन ई, बी कॉम्प्लेक्स, नायसिन, थायमिन और रिबोफ्लेविन का भी बहुत अच्छा स्रोत है। बाजरा दिल की सेहत के लिए भी अच्छा है और कोलेस्ट्रॉल और ब्लड प्रेशर के नियंत्रण में भी सहायक है।
    कुट्टू
    आमतौर पर कुट्टू का आटा व्रत में ही खाया जाता है। विटमिन बी से भरपूर यह आटा बॉडी को डिटॉक्सीफाई करने में मदद करता है। डायबिटिक लोगों के लिए भी यह अच्छा खाद्य है क्योंकि इसमें मौज़ूद फाइबर शुगर लेवल को नियंत्रित करने में सहायक होता है। यह ग्लूटन-फ्री होता है। इसमें मैग्नीशियम प्रचुर मात्रा में होता है, जो शरीर की नसों को आराम देता है और रक्त प्रवाह को सुधारने और पोषक तत्वों के बेहतर संचार में मदद करता है। साथ ही यह ब्लड प्रेशर को भी नियंत्रित करता है।
    सोयाबीन
    सोयाबीन का आटा स्वास्थ्यकर होता है। इसमें प्रोटीन, थायमिन, आयरन, फोलेट, मैग्नीशियम और डाइटरी फाइबर प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं। यह मेनोपॉज के दुष्प्रभावों से निपटने में बहुत कारगर है, साथ ही कई बीमारियों से भी बचाता है। हालांकि प्रोटीन की अधिक मात्रा के कारण यूरिक एसिड की अधिकता और थायरॉयड की समस्या में इसका सेवन नहीं करना चाहिए।
    मल्टीग्रेन
    आजकल बाज़ार में मल्टीग्रेन आटे की ढेरों वरायटीज़ मौज़ूद हैं। यह प्रोटीन युक्त है और मांसपेशियों को भी मज़बूत बनाता है। इसमें फाइबर होने के कारण यह कब्ज़ और पेट के लिए बेहतर है। कम कार्बोहाइड्रेट होने की वजह से यह वज़न नियंत्रित रखने में भी सहायक होता है। मल्टीग्रेन आटे को डायलिसिस वाले मरीज़, डायबिटीज़ और हाई ब्लड प्रेशर की परेशानी से पीडि़त लोगों के लिए भी अच्छा रहता है। डॉक्टर से सलाह लेकर ही इसका सेवन करें।
    रागी
    रागी में कैल्शियम, आयरन, नायसिन, थायमिन प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं। यह बार-बार भूख लगने की परेशानी को दूर करते हैं, जिससे वज़न कम करने में भी मदद मिलती है। यह मांसपेशियों, ऊतकों, अस्थियों और त्वचा की मरम्म।
    धन्यवाद
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  • शाही पनीर बनाने की विधि

    आइये बनाऐं घर पर शाही पनीर
    आवश्यक सामग्री –
    पनीर – 500 ग्राम (1इंच गुणा आधा इंच के टुकडों मे कटे)
    टमाटर – 200 ग्राम
    हरी मिर्च – 2 बारीक कटी
    अदरक – 1 इंच लम्बा टुकड़ा
    घी – 2 टेबल स्पून
    जीरा — आधा छोटी चम्मच
    हल्दी पाउडर — एक चौथाई छोटी चम्मच
    धनियां पाउडर – दो छोटी चम्मच
    लाल मिर्च — एक चौथाई छोटी चम्मच
    काजू – 25-30 नग
    फ्रैश क्रीम— एक कप
    गरम मसाला — एक चौथाई छोटी चम्मच
    नमक — स्वादानुसार ( 3/4 छोटी चम्मच )
    हरा धनियां — 6–7 डंडी कतरा हुआ
    विधि –
    पनीर को बताऐ आकार के टुकड़ों में काट लीजिये। नान स्टिक कढ़ाई में 1 टेबल स्पून तेल डालिये और पनीर के टुकडे हल्का ब्राउन होने तक तल कर थोडे पानी मे डाल कर रखिऐ।
    काजुओं को आधा घंटे गुनगुने पानी में भिगोइये और बारीक पेस्ट बना कर प्याली में निकाल लीजिये।
    टमाटर, अदरक और हरी मिर्च को मिक्सी से पीस कर पेस्ट बना लीजिये। पेस्ट को निकाल कर प्याले में रखिये। मलाई को भी मिक्सी में चला लीजिये।
    कढ़ाई में घी या मक्खन डाल कर गरम करिये. गरम घी में जीरा डाल दीजिये। जीरा ब्राउन होने पर हल्दी पाउडर और धनियां पाउडर डाल दीजिये, हल्का सा भूनिये और इस मसाले में टमाटर का पेस्ट डाल कर भूनिये। टमाटर भुनने के बाद, काजू का पेस्ट और मलाई डाल कर मसाले को तब तक भूनें जब तक मसाले पर तेल तैरता न दिखाई देने लगे। इस मसाले में आवश्यकतानुसार तरी को जितना गाढ़ा या पतला रखना चाहते हैं, पानी मिला दीजिये। नमक और लाल मिर्च भी डाल कर मिला दीजिये।
    तरी में उबाल आने पर पनीर के टुकड़े डाल कर मिला दीजिये और ढककर बिलकुल धीमी आग पर सब्जी को 3-4 मिनिट तक पकने दीजिये, ताकि पनीर के अन्दर सारे मसाले जज्ब हो जायें. शाही पनीर सब्जी तैयार है। गैस बन्द कर दीजिये. थोड़ा सा हरा धनियां बचा कर, हरा धनियां और गरम मसाला मिला दीजिये।
    शाही पनीर की सब्जी को प्याले में निकालिये. हरे धनिये से सजाइये। गरमा गरम शाही पनीर तैयार है।
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  • मिलावटी तथा शुद्ध भोज्य पदार्थों में अंतर को कैसे पहचाने?

    आम जीवन में इस्तेमाल किए जाने वाले [1] खाद्य पदार्थ जो की देखने से तो बिल्कुल ही शुद्ध लगते है लेकिन आपको पता भी नहीं चलता कि वो किस कदर हानिकारक है। उनमें से जिनके बारे में मैंने पढ़ा है उसके बारे में लिख रहा हूं।
    चीज (Cheese)
    मिलावटी तथा शुद्ध चीज में पता करने का सबसे अच्छा तरीका है कि चीज का एक टुकड़ा ले और उसे आग में जलाएं। अगर वो मिलावटी होगा तो वो जल के काला हो जाएगा, जबकि अगर शुद्ध होगा तो वह गलने लगेगा।
    चावल
    चावल में प्लास्टिक के टुकड़े मिलाए गए होते है, उत्पादक की आमदनी बढ़ाने के लिए। इसे पानी में डालते ही प्लास्टिक के चावल बिना रंग के हो जाएंगे, जब की चावल अपने रंग में ही रहेगा।
    बच्चो का खाना
    बच्चो को अर्ध ठोस भोजन आता है, जिसे यह कहकर बेचा जाता है कि इसमें कैल्शियम है जो कि बच्चों के बढ़ने में सहायता करेगा। उसमे मिलावट पता करने के लिए चुंबक का एक टुकड़ा ले और baby food को एक पॉलिथीन पैकेट में डाल कर फैला दी फिर उसके ऊपर चुंबक घुमाए। उसमे जो भी अवांछित पदार्थ होंगे वो चुम्बक के साथ बाहर आ जाएंगे।
    विटामिन्स की गोलियां
    सप्लीमेंट की गोलियों को एक साथ एक बर्तन में रखकर माइक्रोवेव ओवन में गरम करें। जो कृत्रिम विटामिन होंगे वो गल के जलने लगेंगे जबकि जो शुद्ध होंगे उनमें कोई फर्क नहीं पड़ेगा।
    आइसक्रीम
    आइसक्रीम शुद्ध है कि नहीं पता करने के लिए उसमे नींबू निचोड़ कर डाले, अगर नीबू डालने के बाद उसमे झाग बनने लगता है तो इसका मतलब है कि उसमे डिटर्जेंट मिलाया गया है। डिटर्जेंट आइसक्रीम को चमकदार तथा आकर्षक बनाया है।
    शुद्ध आइसक्रीम कभी भी झाग नहीं बनाता।
    दूध
    पैकेजड दूध जो आप हमेशा इस्तेमाल करते है, उसकी शुद्धता पता करने का सबसे आसान तरीका है कि आप उसमे समुद्री वीड डाले और मिलाए। अगर वो नीला हो गया इसका मतलब कि उसमे पके हुए चावल का पानी डाला हुआ है। और अगर कोई असर नहीं पड़ा मतलब की वो शुद्ध है।
    शहद
    एक मोमबत्ती लें, उसके जलने वाले सिरे को शहद में डुबोएं, फिर जलाएं। अगर वो जलकर बुझ गया, इसका मतलब कि उसमे पानी और चीनी की मिलावट है। लेकिन अगर वो जलता रहा इसका मतलब कि वो शुद्ध है।
    कॉफी
    एक ग्लास पानी ले और उसमे कॉफी डालें, अगर कॉफी पानी में घुलता नहीं है और ऊपर ही तैरता रहता है इसका मतलब कि उसमे मिलावट है।लेकिन अगर कॉफी पानी में घुल जाता है मतलब कि वह शुद्ध कॉफी है।
    नमक
    नमक को भी एक ग्लास पानी में एक चममच नमक डालें अगर नमक पानी में घुलने के साथ वो दूधिया रंग का हो जाता है इसका मतलब कि उसमे चाक पाउडर मिलाया गया है। शुद्ध नमक कभी भी दूधिया रंग नहीं देता।
    मसाले
    मसाला एक चम्मच में लें और उसे जलाएं, अगर वो जलने लगता है इसका मतलब कि मसाला शुद्ध है, लेकिन अगर वो नहीं जलता तो इसका मतलब कि उसमे मिलावट है।
    चायपत्ती
    एक प्लेट में सफेद कागज रख कर उसमे चायपत्ती डालें, फिर हल्का हल्का पानी का स्प्रे करें, अगर चायपत्ती सिर्फ पानी पड़ने से ही रंग छोड़ने लगता है तो इसका मतलब कि उसके रंग कि मिलावट है। शुद्ध चायपत्ती सिर्फ पानी के स्प्रे से रंग नहीं छोड़ता।
    धन्यवाद।
    और भी जानकारी होगी तो अपडेट करूंगा।
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  • मलाई कोफ्ता बनाने की भारतीय विधि

    मलाई कोफ्ता एक नज़र मैं सामिग्री:-
    रेसिपी:-भारतीय
    कितने लोगों हेतु:-4 – 6
    बनाने का समय:-45 मिनट
    वेज प्रकार:-वेज
    आवश्यक सामग्री:-
    पनीर:-1 कप कद्दूकस किया हुआ
    आलू:- 2 उबले हुए
    काजू:-1 बड़ा चम्मच बारीक कटा हुआ
    किसमिस:-1 बड़ा चम्मच
    नमक:-स्वादानुसार
    कॉर्न फ्लोर:-3 बड़ा चम्मच
    गरम मसाला पाउडर:- 1/4 बड़ा चम्मच
    लाल मिर्च पाउडर:-1/2 बड़ा चम्मच
    ग्रेवी बनाने के लिए सामग्री:-
    प्याज:-2 साफ किये हुए
    टमाटर:-3 बारीक कटे हुए
    अदरक लहसुन का पेस्ट:-1 बड़ा चम्मच
    लाल मिर्च पाउडर:-2 बड़ा चम्मच
    हल्दी:-1/2 बड़ा चम्मच
    नमक:- स्वादानुसार
    काजू पेस्ट:-1/4 कप
    तेज पत्ता:- 1
    दाल चीनी:-1 इंच का टुकड़ा
    इलायची:-2
    लौंग:-3
    कसूरी मेथी:-1 छोटा चम्मच
    गरम मसाला पाउडर:- 1/2 छोटा चम्मच
    तेल:-आवश्यकतानुसार
    धनियापत्ती:-2 बड़ा चम्मच
    क्रीम:-2 बड़ा चम्मच
    credit: third party image reference
    बनाने की विधि:-
    1:-एक बर्तन में उबले हुए आलू को मैश करे।
    2:-एक अलग बर्तन में कद्दूकस किया पनीर, आलू, कॉर्न फ्लोर, लाल मिर्च पाउडर, गरम मसाला पाउडर, बारीक कटे हुए काजू और किशमिश डालकर अच्छे से मिक्स कर लें।
    3:-मिश्रण से गोल-गोल लड्डू जैसे कोफ्ते बनाकर तैयार करे।
    4:-एक कढ़ाही में तेल डालकर मध्यम गैस आग में गरम होने के लिए रख दें।
    5:-तेल गरम हो जाए इसमें 3-4 कोफ्ते डालकर गोल्डन ब्राउन होने तक पलट-पलट कर सिक जाने के बाद निकाल लें। इसी प्रकार से बाकी के कोफ्ते भी सेंक लें।
    credit: third party image reference
    6:-ग्रेवी बनाने की बिधि:-
    a:-ग्रेवी बनाने के लिए प्याज और टमाटर को अलग-अलग पीसकर बारीक पेस्ट बनाकर तैयार कर लें।
    b:-एक दूसरी कढ़ाही में तेल डालकर गैस की मध्यम आग पर रखकर गरम होने के लिए रख दें।
    c:-गरम तेल मैं दाल चीनी, तेज पत्ता, लौंग और इलायची डालकर भून लें।
    d:-इसमें पिसी हुई प्याज का पेस्ट सुनहरा होने तक अच्छे से भून लें।
    e:- इसमें अदरक और लहसुन का पेस्ट डालकर 5 मिनट तक और भूनें।
    f:-मसाला तेल छोड़ने लगे तो ग्रेवी में टमाटर की प्यूरी मिलाकर 4 मिनट तक अच्छे से चलाकर पकाये।
    g:-इसमें हल्दी, लाल मिर्च पाउडर, गरम मसाला पाउडर और काजू का पेस्ट डालकर तब तक पकाएं जब तक कि तेल अलग न होने लगे।
    h:-तैयार ग्रेवी मैं 2 कप पानी डालकर धीमी आग पर 10 मिनट तक पका लें।
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    सब्जी तैयार करें:-
    7:-ग्रेवी मैं नमक और कसूरी मेथी डाल कर मिलाये और तैयार किए कोफ्ता डाल दीजिए.
    8:-धीरे-धीरे चलाते हुए आग बंद कर दीजिए। मलाई कोफ्ता तैयार है।
    तैयार मलाई कोफ्ते की सब्जी मैं क्रीम से गार्निश करके परोसिये।
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