अरारोट या एरोरूट तकनीकी रूप से अपने आप में एक पौधा नहीं है, बल्कि एक प्रकार का स्टार्च है जो आसानी से कई अलग-अलग पौधों और राइज़ोम की जड़ों से प्राप्त किया जा सकता है।
अरारोट का वैज्ञानिक नाम मैरेंटा अरुंडिनेशी (Maranta arundinacea) है और यह एक बहुवर्षी पौधा होता है। इसमें मौजूद स्टार्च के कारण, यह 7,000 से अधिक वर्षों से उपयोग किया जा रहा है।
विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं के इलाज के लिए अरारोट एक महत्वपूर्ण और प्रभावी उपाय है। आटा या मकई की जगह इसका उपयोग किया जाता है। मूल रूप से इसका पाउडर रोटी, पास्ता और केक के लिए एक स्वस्थ विकल्प हो सकता है।
अरारोट असल में एक जड़ का पाउडर होता है। इसका पौधा अंग्रेजी भाषा में एरोरूट Arrow root कहलाता है।
आयुर्वेद में यह पौधा शिशुमूल के नाम से जाना जाता है।
आयुर्वेद के अनुसार अरारोट सुपाच्य , सौम्य तथा कब्ज नाशक होता है। यह आँतों तथा मूत्राशय सम्बन्धी रोग से आई कमजोरी दूर करता है। बीमार या बच्चों के लिए फायदेमंद होता है।
अरारोट को अरारूट , विलायती तीखुर के नाम से भी जाना जाता है। इसे गुजराती में तवखार Tavkhar , मराठी में आरा रूट, बंगला में तवक्षीर Tavkshir कहते हैं।
अरारोट कैसे बनता है –
अरारोट के पौधे की जड़ में शकरकंद जैसी आकृति की जड़े बनती हैं। इन्हें खोदकर निकाला जाता है , फिर इसे धोकर उबाल लेते हैं। छिलका निकाल देते हैं और टुकड़े करके पीसा जाता है।
इसे धोने से स्टार्च ( मांड ) निकलता है , रेशेदार भाग को हटा दिया जाता है। स्टार्च या मांड को शुद्ध करके सुखा लिया जाता है। सूखने के बाद उसे बारीक़ पीस कर उसका पाउडर बना लिया जाता है। यही पाउडर अरारोट है जिसे हम रसोई मे काम लेते हैं।
आजकल इसकी जगह कॉर्न फ्लौर का उपयोग सस्ते विकल्प के रूप में होता है। लेकिन अरारूट में अधिक पोषक तत्व होते हैं। इसके अलावा जिन लोगों को कॉर्न से या गेहूं से एलर्जी होती है वे अरारूट काम में ले सकते हैं। क्योंकि इसमें ग्लूटेन नहीं होता है।
अरारोट में स्वाद नहीं होता है। अतः इसे किसी भी व्यंजन में मिलाया जा सकता है। अरारोट लगाकर आलू की फिंगर चिप्स या टिकिया तलने से कुरकुरी बनती है। ग्रेवी को गाढ़ा करने के लिए भी इसका उपयोग होता है।
अरारोट में स्वाद नहीं होता है। अतः इसे किसी भी व्यंजन में मिलाया जा सकता है। अरारोट लगाकर आलू की फिंगर चिप्स या टिकिया तलने से कुरकुरी बनती है। ग्रेवी को गाढ़ा करने के लिए भी इसका उपयोग होता है।
अरारोट के पोषक तत्व –
अरारोट में बहुत से पोषक तत्व होते हैं। इसमें प्रोटीन , कार्बोहाईड्रेट , विटामिन बी 9 , कैल्शियम , पोटेशियम , मैग्नीशियम , सोडियम और फास्फोरस प्रचुर मात्रा में होता है। इसके अलावा कुछ मात्रा जिंक , आयरन , विटामिन बी B1 और बी 6 भी होता है।
अरारोट में बहुत से पोषक तत्व होते हैं। इसमें प्रोटीन , कार्बोहाईड्रेट , विटामिन बी 9 , कैल्शियम , पोटेशियम , मैग्नीशियम , सोडियम और फास्फोरस प्रचुर मात्रा में होता है। इसके अलावा कुछ मात्रा जिंक , आयरन , विटामिन बी B1 और बी 6 भी होता है।
अरारोट एक शुद्ध प्राकृतिक कार्बोहाईड्रेट है।
अरारोट के फायदे–
पाचन तंत्र
अरारोट में भरपूर फाइबर होता है। फाइबर पाचन तंत्र के लिए जरुरी होता है। यह आतों की सफाई करता है और पोषक तत्वों के अवशोषण में मदद करता है। यह कब्ज दूर करता है। ब्लड में शक्कर का लेवल नियंत्रित करने में सहायक होता है तथा डायबिटीज को रोकने में सहायक होता है। फाइबर कोलेस्ट्रोल कम करने में भी मददगार होता है। अतः पाचन तंत्र के लिए अरारोट लाभदायक है।
पाचन तंत्र
अरारोट में भरपूर फाइबर होता है। फाइबर पाचन तंत्र के लिए जरुरी होता है। यह आतों की सफाई करता है और पोषक तत्वों के अवशोषण में मदद करता है। यह कब्ज दूर करता है। ब्लड में शक्कर का लेवल नियंत्रित करने में सहायक होता है तथा डायबिटीज को रोकने में सहायक होता है। फाइबर कोलेस्ट्रोल कम करने में भी मददगार होता है। अतः पाचन तंत्र के लिए अरारोट लाभदायक है।
ह्रदय
अरारोट में पाया जाने वाला पोटेशियम ह्रदय के लिए लाभदायक होता है। पोटेशियम से रक्त शिराएँ लचीली बनती हैं तथा यह नसों में कोलेस्ट्रोल जमने से रोकता है। इसके अलावा यह दिमाग में ऑक्सीजन युक्त रक्त के संचार में वृद्धि करता है।
अरारोट में पाया जाने वाला पोटेशियम ह्रदय के लिए लाभदायक होता है। पोटेशियम से रक्त शिराएँ लचीली बनती हैं तथा यह नसों में कोलेस्ट्रोल जमने से रोकता है। इसके अलावा यह दिमाग में ऑक्सीजन युक्त रक्त के संचार में वृद्धि करता है।
गेहूं से एलर्जी और सेलिअक डिजीज
गेहूं से एलर्जी और सेलिअक डिजीज से ग्रस्त लोगों की संख्या बढ़ती जा रही है। इसके लिए ग्लूटेन फ्री डाईट की जरुरत होती है और अरारूट इसमें उपयुक्त साबित होता है। यह पेट की तकलीफ ग्लूटेन के कारण होने वाली दिक्कत व दर्द आदि में आराम दिला सकता है।
गेहूं से एलर्जी और सेलिअक डिजीज से ग्रस्त लोगों की संख्या बढ़ती जा रही है। इसके लिए ग्लूटेन फ्री डाईट की जरुरत होती है और अरारूट इसमें उपयुक्त साबित होता है। यह पेट की तकलीफ ग्लूटेन के कारण होने वाली दिक्कत व दर्द आदि में आराम दिला सकता है।
अरारोट (Ararot) कैसे प्राप्त होता है-
पौधे की जड़ को निकालकर उसे अच्छे से साफ करके उसका छिलका निकाल दिया जाता है. फिर इसे अच्छे से पीसकर लुगदी बना ली जाती है. इस लुगदी को अच्छी तरह धोया जाता है, जिससे जड़ का रेशेदार भाग अलग हो जाता है. यह फेंक दिया जाता है और बचे हुए दूधिया भाग को छान लेते हैं जिससे अरारूट स्टार्च (Ararot starch) प्राप्त होता है.
पौधे की जड़ को निकालकर उसे अच्छे से साफ करके उसका छिलका निकाल दिया जाता है. फिर इसे अच्छे से पीसकर लुगदी बना ली जाती है. इस लुगदी को अच्छी तरह धोया जाता है, जिससे जड़ का रेशेदार भाग अलग हो जाता है. यह फेंक दिया जाता है और बचे हुए दूधिया भाग को छान लेते हैं जिससे अरारूट स्टार्च (Ararot starch) प्राप्त होता है.
अरारोट (Ararot) का रख रखाव-
अरारोट को एयर टाइट कंटेनर में भरकर रखें.
अरारोट में किसी भी प्रकार की नमी न जाने दें.
नमी के संपर्क में आने पर यह खराब हो जाता है.
जब भी इसे उपयोग में लाएं तो साफ सफाई का ध्यान रखें.
जिस भी कंटेनर में इसे रखा गया हो उसे साफ सूखे हाथों से ही खोलें और इसे निकालने के लिए साफ सूखे चम्मच का ही उपयोग करें.
अरारूट अनाज से नही बनता इसलिए व्रत में खाया जा सकता है परन्तु शुद्ध होना चाहिए।
अरारोट में किसी भी प्रकार की नमी न जाने दें.
नमी के संपर्क में आने पर यह खराब हो जाता है.
जब भी इसे उपयोग में लाएं तो साफ सफाई का ध्यान रखें.
जिस भी कंटेनर में इसे रखा गया हो उसे साफ सूखे हाथों से ही खोलें और इसे निकालने के लिए साफ सूखे चम्मच का ही उपयोग करें.
अरारूट अनाज से नही बनता इसलिए व्रत में खाया जा सकता है परन्तु शुद्ध होना चाहिए।
यह किसी भी किराना स्टोर पर आसानी से मिल जाता है। इसे ऑनलाइन भी मंगाया जा सकता है।
अरारूट को फ्रिज में रखने की जरुरत नहीं होती है परन्तु सूखे और ठन्डे स्थान पर रखना चाहिए । सीधी धूप और नमी से बचाना चाहिए।
पुराने समय से इसे मकड़ी या बिच्छु जैसे जहरीले कीड़ों के काटने पर भी लगाया जाता है।
यह आसानी से पच जाता है अतः पाचन सम्बन्धी दिक्कत वाले लोग भी इसका उपयोग कर सकते हैं।
अरारोट का उपयोग व्यावसायिक स्तर पर जेली और पेस्ट्री आदि बनाने में किया जाता है। इसके अलावा कुछ कॉस्मेटिक प्रोडक्ट जैसे टेलकम पाउडर आदि बनाने में तथा ग्लू बनाने में भी इसका उपयोग होता है।
अरारोट खरीदते समय सावधानियां –
अरारूट को बाजार से खरीदते समय कुछ बातों का ध्यान रखें. क्योंकि अरारोट में भी बहुत सी चीजों की मिलावट की जाती है. अरारोट के नाम पर आलू, चावल, साबूदाना या ऐसी ही अन्य वस्तुओं को महीन पीसकर नकली अरारोट भी बेचा जाता है इसलिए जब भी अरारोट खरीदें तो विश्वसनिय ब्रांड की ही लें और जहां से खरीद रहे हों वह गुणवत्ता युक्त हो. इसे बारीकी से जांचकर ही लें.
अरारोट खरीदते समय सावधानियां –
अरारूट को बाजार से खरीदते समय कुछ बातों का ध्यान रखें. क्योंकि अरारोट में भी बहुत सी चीजों की मिलावट की जाती है. अरारोट के नाम पर आलू, चावल, साबूदाना या ऐसी ही अन्य वस्तुओं को महीन पीसकर नकली अरारोट भी बेचा जाता है इसलिए जब भी अरारोट खरीदें तो विश्वसनिय ब्रांड की ही लें और जहां से खरीद रहे हों वह गुणवत्ता युक्त हो. इसे बारीकी से जांचकर ही लें.
अरारोट का रेसिपी में उपयोग-
अरारोट को रेसिपी में मुख्य रूप से बाइंडिंग या गाढा़ करने के लिए उपयोग किया जाता है. जैसे कि अगर हम कोफ्ते बना रहे हों तो उनमें अरारोट मिला देने से वो टूटते नहीं हैं, अच्छे से बंध कर तैयार होते हैं और आसानी से तले जा सकते हैं. साथ ही इसे मिठाई बनाने के लिए भी उपयोग किया जाता है. इसे गुलाब जामुन, छैना बनाने में उपयोग करते हैं.
अरारोट को रेसिपी में मुख्य रूप से बाइंडिंग या गाढा़ करने के लिए उपयोग किया जाता है. जैसे कि अगर हम कोफ्ते बना रहे हों तो उनमें अरारोट मिला देने से वो टूटते नहीं हैं, अच्छे से बंध कर तैयार होते हैं और आसानी से तले जा सकते हैं. साथ ही इसे मिठाई बनाने के लिए भी उपयोग किया जाता है. इसे गुलाब जामुन, छैना बनाने में उपयोग करते हैं.
अरारोट को ग्रेवी, सॉस इत्यादि को गाढ़ा करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है. इसे मन्चूरियन की ग्रेवी में बहुतायत में यूज करते हैं.
अरारोट का विकल्प –
अगर अरारोट न मिले तो इसकी जगह कॉर्न स्टार्च (corn starch) का उपयोग भी किया जा सकता है. यह उसके लिए एक अच्छा विकल्प होता है. साथ ही मैदा (refined flour) को भी कई चीजों में अरारोट के बदले उपयोग में लाया जा सकता है।
अरारोट के नुकसान –
किसी भी हर्बल उपाय के साथ, अरारोट लेते समय सावधानी बरती जानी चाहिए। जबकि हर्बल उपचारों का उपयोग करने से पहले अपने डॉक्टर से परामर्श किया जाना चाहिए। बच्चों, गर्भवती या नर्सिंग माताओं या किडनी या लिवर की बीमारी वाले किसी भी व्यक्ति को इसके सेवन से पहले विशेष ध्यान देना चाहिए। एक शिशु फार्मूले के लिए अरारोट का विचार से पहले बच्चों के बाल रोग विशेषज्ञ से परामर्श करें और एलर्जी प्रतिक्रियाओं के लिए बारीकी से निगरानी करें।
दस्त को कम करने के लिए जड़ी-बूटियों का उपयोग करते समय, इसे दस्त के लिए किसी भी अन्य दवा या पूरक के साथ नहीं लिया जाना चाहिए।
अगर अरारोट न मिले तो इसकी जगह कॉर्न स्टार्च (corn starch) का उपयोग भी किया जा सकता है. यह उसके लिए एक अच्छा विकल्प होता है. साथ ही मैदा (refined flour) को भी कई चीजों में अरारोट के बदले उपयोग में लाया जा सकता है।
अरारोट के नुकसान –
किसी भी हर्बल उपाय के साथ, अरारोट लेते समय सावधानी बरती जानी चाहिए। जबकि हर्बल उपचारों का उपयोग करने से पहले अपने डॉक्टर से परामर्श किया जाना चाहिए। बच्चों, गर्भवती या नर्सिंग माताओं या किडनी या लिवर की बीमारी वाले किसी भी व्यक्ति को इसके सेवन से पहले विशेष ध्यान देना चाहिए। एक शिशु फार्मूले के लिए अरारोट का विचार से पहले बच्चों के बाल रोग विशेषज्ञ से परामर्श करें और एलर्जी प्रतिक्रियाओं के लिए बारीकी से निगरानी करें।
दस्त को कम करने के लिए जड़ी-बूटियों का उपयोग करते समय, इसे दस्त के लिए किसी भी अन्य दवा या पूरक के साथ नहीं लिया जाना चाहिए।
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